क्या होती है क्रेडिट रेटिंग और कैसे की जाती है तय, समझें क्रेडिट रेटिंग पॉइंट सिस्टम- चेक करें डीटेल्स
बैंक से कर्ज लेने के लिए क्रेडिट रेटिंग्स बहुत जरूरी है. अगर आपका स्कोर थोड़ा भी ऊपर-नीचे होता है तो लोन मिलने में परेशानी हो सकती है. क्रेडिट रेटिंग्स के काम करने की एक प्रोसेस होती है. आइये समझते हैं डीटेल में.
बैंकों का काम सिर्फ पैसों तक सीमित नहीं होता है. बैंक हमेशा कस्टमर से रिलेटेड जानकारी होने पर ही लोन देते हैं. जब तक बैंकों के पास आपके बारे में जरुरी जानकारी नहीं होगी, तब तक बैंक कर्ज नहीं दे सकते. यहां से क्रेडिट रेटिंग का रोल शुरू होता है. बैंक तब ही लोन देते हैं जब उनके पास कस्टमर्स से जुड़ी सारी इंफॅार्मेशन होती है. बैंक सबसे पहले लोन लेने वाले इंसान के भुगतान करने के इरादे और ऐसा करने की क्षमता के बारे में पता करते हैं. कर्ज लेने वाले इंसान की आय से उसके लोन को चुकाने की क्षमता के बारे में पता लग जाता है. इसको पूरी तरह से समझने के लिए बैंकों को यह जानने की जरुरत होती है कि कहीं बॅारोअर के पास वर्तमान में कोई दूसरा कर्ज तो बकाया नहीं है. साथ ही बॅारोअर के पिछले भुगतान का रिकॉर्ड और लोन चुकाने के उसके इरादे के बारे में काफी जानकारी भी क्रेडिट स्कोर से पता चल जाती है. क्रेडिट स्कोर एक ऐसी एजेंसी की तरह काम करते हैं जो अलग-अलग बैंकों और वित्तीय संस्थानों से जानकारी इकठ्ठा करके एक प्लेटफॅार्म पर अपडेट रखते हैं.
क्या है क्रेडिट रेटिंग्स का कॅान्सेप्ट
क्रेडिट रेटिंग कंपनियां किसी एक बैंक के लिए काम नहीं करती हैं. ये बैंकिंग प्रणाली में सभी बैंकों के सहयोग से एक प्लेटफॅार्म बनाती हैं. इस प्लेटफॅार्म पर बैंक अपने ग्राहकों के लोन और रिपेमेंट के संबंध में डेटा देता है. ये डेटा ग्राहक की स्पेशल आइडेंटिटी जैसे कि सोशल सिक्योरिटी सर्विस या ड्राइवर लाइसेंस नंबर के आधार पर सॅार्ट किया जाता है. इसलिए यदि कोई इंसान बैंकों से उधार लेता है, तो इन लोन के बारे में जानकारी एक सेंट्रलाइज्ड रिपॉजिटरी में उपलब्ध होती है. जिसे बैंक फीस देकर यूज कर सकते हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो बैंकों के लिए किसी एक बॅारोअर के बारे में इंफॅार्मेशन लेना बहुत मुश्किल है. इसलिए अगर कई बैंकों से जानकारी इकठ्ठी करके एक जगह उपलब्ध की जाए तो इससे बहुत हद तक कस्टमर के बारे में पता लग सकता है.
क्रेडिट स्कोर से आपकी वेल्थ का पता नहीं लग सकता
क्रेडिट स्कोर से किसी इंसान के पास कितनी संपत्ति है इसके बारे में पता नहीं लग सकता. इससे किसी इंसान के उसके बिलों के भुगतान के बारे में पता लगाया जा सकता है. इसलिए अगर आप अपने बिलों का भुगतान करने में देर करते हैं, तो आपकी क्रेडिट रेटिंग कम हो सकती है. इस कारण अपने बिलों का पेमेंट समय पर करना चाहिए.
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क्रेडिट रेटिंग पॅाइंट सिस्टम
क्रेडिट रेटिंग सिस्टम से एक स्कोर बनता है. जिसे क्रेडिट स्कोर या FICO स्कोर (फर्स्ट आइजैक कॉर्पोरेशन) कहा जाता है. 18 साल का होने पर किसी भी इंसान को डिफॅाल्ट FICO स्कोर मिलता है. इसलिए हर कोई चाहे वह कितना भी अमीर या गरीब क्यों न हो, एक ही स्कोर से शुरुआत करता है. आप जब भी समय पर पेमेंट करते हैं, आपके स्कोर में एक छोटा सा एडिशन किया जाता है. इसी तरह अगर पेमेंट समय पर न हो तो स्कोर में से पॅाइंट घटाया जाता है. आपका क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है. जितना ज्यादा स्कोर होता है, आपके उतने ही ज्यादा लोन लेने के चांस बनते हैं.
08:40 AM IST